Thursday 30 June 2016

तुझा एक अलवार स्पर्श
            अजूनही मन शहारते ....!
तुझ्या सान्निध्याचा भास
             अवघी काया मोहरते....!
शिशीरातही फुलतो वसंत
              वठलेले मन बहरते......!
 तुझ्या साथीने मनपाखरु
               मुक्त होऊनी विहरते....!

सुरेश इंगोले.....
तुझा एक अलवार स्पर्श
            अजूनही मन शहारते ....!
तुझ्या सान्निध्याचा भास
             अवघी काया मोहरते....!
शिशीरातही फुलतो वसंत
              वठलेले मन बहरते......!
 तुझ्या साथीने मनपाखरु
               मुक्त होऊनी विहरते....!

सुरेश इंगोले.....